परिक्रमण गति की हकीकत : निश्चित समय अंतराल में सूर्य के दोलनीय नेचर के कारण सूर्य के चक्रमय व्यवहार से सूर्य के धड़कने से सूर्य के मरोडे व निचोडे जाने से सूर्य के ट्विस्ट व टाइट होने से सूर्य के एक स्प्रिंग की भांति कसने व ढीले होते रहने से सूर्य के घूर्णन नही करने से आखिर इसकी परिक्रमा करते सभी ग्रहों के परिक्रमण पथ और साथ ही उनकी परिक्रमण की गति पर भी प्रभाव पड़ता है। ये प्रभाव बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, प्लूटो यानि सम्पूर्ण सौर मंडल पर देखा जा सकता है। हमारे सौर मंडल के अलावा कई अन्य तारा मंडलो में से कुछ में इसी तरह से ट्विस्टिन्ग व टाइटनिन्ग के प्रभाव से उस तारे के चारो और ग्रह प्रोग्रेड व रिट्रोग्रेड ऑर्बिटिन्ग करते है। इसलिए आप इस वीडियो में जो इस ग्रह की कक्षा को बदलते देख रहे है वह हकीकत में ट्विस्टिन्ग व टाइटनिन्ग का ही प्रभाव देख रहे है जो लॉन्ग टाईम में ऐसा होता देख रहे है। वेज्ञानिक इसे प्रिशेसन का कारण बताते है लेकिन दोलन, साईक्लिक, धड़कने, ट्विस्टिन्ग और घूर्णन नही करने से ये ऐसा हो रहा है।
No comments:
Post a Comment